दोस्त और दुश्मन में पहचान करना जरूरी हो गया है, इसलिए इन हरकतों को ध्यान में रखकर आप स्वयं निर्णय लें।
1, मैं विदेश से चलकर आपके देश भारत में करीब साढ़े चार हजार वर्ष पहले ही आया था लेकिन आपको सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग के नाम पर गुमराह करके करोड़ों वर्षों की कहानियों में उलझा दिया।
यह मेरे दिमाग का ही कमाल था।
2, मेरी और मेरे साथियों की जनसंख्या मुश्किल से 10 से 15 प्रतिशत होगी लेकिन फिर भी मैंने भारत के 85 प्रतिशत मूलनिवासी लोगों को साम दाम दण्ड भेद नीति से लड़ाई में हरा दिया और हराकर शुद्र,राक्षश,असूर, अछूत, दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यंक बना दिया।
यह भी मेरे दिमाग का ही कमाल है।
3, मैंने 85 प्रतिशत मूलनिवासी लोगों को केवल युद्ध में हराया ही नहीं बल्कि गुलाम भी बनाया और गुलाम को गुलामी का एहसास भी नहीं होने दिया।
यह सब मैंने अपने दिमाग से कर दिखाया।
4, मैंने 85 प्रतिशत मूलनिवासी लोगों को केवल गुलाम ही नहीं बनाया बल्कि गुलाम बनाने के बाद भी 6743 जातियों में बांटा और ऊंच नीच का भेदभाव पैदा करके आजतक भी मूलनिवासी समाज को एक साथ नहीं बैठने दिया।
यह मेरे दिमाग की करामात है।
5, मैं और मेरे साथियों ने मिलकर 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज को सभी मानवीय अधिकारों से वंचित किया और तुम्हारे ही देश में तुम्हें पशु समान बना दिया।
यह मेरे दिमाग की ही चाल है।
6, मैं सर्वश्रेष्ठ और धर्मदूत बनकर ऐश लेता रहा साथ ही मेरे साथियों को राजगद्दी और व्यापार का मालिकाना हक दिलाकर उन्हें भी ऐश लुटाता रहा। यह सब मैंने अपने दिमाग से कर दिखाया।
7, मैंने और मेरे दोनों साथियों ने कभी पसीना नहीं बहाया बल्कि 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज ने कमाया और हमने आराम से बैठकर खाया।
यह सब मैं अपने दिमाग से ही करपाया।
8, मैने 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज को षड्यंत्र रचकर बेवकूफ बनाया और इनका दादा बन बैठा एवं आजाद भारत में भी अपनी दादागिरी चला रहा हूँ ।
ये सब मेरे दिमाग का ही खेल है।
9, मैं आज भी सबसे ऊंचा बना हुआ हूँ क्योंकि मुझे भगवान ने ऊँचा बनाया है ऐसा भर्म मैंने फैलाया और जन जन के मन में भगवान का डर बैठाया। मुझको दान देने से धर्म होता है, मेरे को खिलाने से मृत लोक में आपके माता पिता के पेट में चला जाता है । यह ढोंग रचाकर आज भी मैं आराम से अपना परिवार पाल रहा हूँ।
यह मेरे दिमाग का ही तो कारनामा है।
10, मेरे बिना आप लोग अपने बच्चों के नाम नहीं रख सकते उनकी शादी का दिन निर्धारित नहीं कर सकते मेरी उपस्थिति के बिना शादी संस्कार सम्पन्न नहीं कर सकते अपना घर कहाँ बनाना है, कब बनाना है और बनने के बाद उसमें कब प्रवेश करना है इसकी अनुमति देने का अधिकार मैं ले बैठा और इसे धर्म और शुभ मुहूर्त से जोड़कर तुम्हें बेवकूफ बनाकर तुम्हारी आसानी से जेब ढीली करवाकर अपना परिवार पाल लेता हूँ।
यह षड्यंत्रकारी रणनीति मैंने अपने दिमाग से ही बनाई थी।।
11, मैंने आपकी सिंधुघाटी सभ्यता को मिटाया व आपके वास्तविक बौद्ध धर्म को भी भारत में खत्म करवाया साथ ही आपके सन्तों, महापुरुषों व गुरुओं के सामाजिक क्रांति के जन आन्दोलन को भक्ति भाव में बदलवाया।
यह सब मैं अपने दिमाग के बल पर ही करपाया।
12, मैंने तुम्हें बाहुबली से कमजोर बनाया, अस्त्र शस्त्र छीनकर निहत्था किया, शिक्षा पर प्रतिबंध लगाया, वेद पढने पर जीभ काटने का आदेश सुनाया, कानों में शीशा पिंघालकर डलवाया, आपस में बांटकर भाईयों को ही एक दूसरे से लड़वाया।
यह सब मेरे दिमाग से ही करपाया।
13, मैंने अपने हित के लिए पाकिस्तान बनवाया और मुसलमानों के खिलाफ नफरत का जहर फैलाया।
यह सब दिमाग से ही तो करपाया।
14, मैंने तुमसे गन्दे से गन्दा काम करवाया यहाँ तक की मेरा मैला तुम्हारे सिर पर उठवाया और कोई चूँ तक नहीं करपाया।
यह सब मेरे दिमाग से ही सम्भव हो पाया।
15, मैंने सबसे पहले डॉक्टर अम्बेडकर द्वारा बनाई गई आर पी आई को टुकड़ों में खंडित करवाया फिर कांशीराम जी की बहुजन समाज पार्टी में शामिल होकर बहुजन महापुरुषों की विचारधारा बहुजन हिताय बहुजन सुखाय को रुकवाया और
जातीय महासभाओं का गठन करवाया व अम्बेडकर अनुयायियों को भी अनेकों संगठनों में बंटवाया।
यह सब मेरे दिमाग से ही तो करपाया।
16, मैं 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज को वापिस गुलाम बना कर रहूँगा, यह संकल्प मेरे मन में आया,इसके लिए मैंने पहले सरकारी विभागों को निजी हाथों में दिलवाया और फिर शिक्षा का निजीकरण किया व अब सभी स्कूलों को भी पी पी पी मोड पर देने का कानून बनवाया।
यह सब मेरे दिमाग का ही कमाल है।
17, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज के पास आज भी कुछ नहीं है जैसे एक भी टी वी चैनल तुम्हारा नहीं, अखबार या मैगजीन तुम्हारे नहीं, साहित्य, इतिहास और स्कूल और कॉलेजों में सिलेबस तुम्हारा नहीं,मील और कारखाने तुम्हारे नहीं, बाजारों में बड़ी बड़ी दुकानें तुम्हारी नहीं, धन दौलत और जमीन जायदाद तुम्हारे पास नहीं। केवल और केवल डॉ भीमराव अंबेडकर के द्वारा दिये गए आरक्षण की बदौलत कुछ सरकारी नोकरियां तुम ले बैठे लेकिन भविष्य में वह भी हम खत्म कर बैठे।
यह सब मैंने अपने दिमाग से आसानीपूर्वक कर दिया।
18, मैंने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका पर पूर्णतया कब्जा जमा रखा है और सब ठीक ठाक चल रहा है, जनता को ऐसा विश्वाश दिला रखा है।
यह सब मैंने अपने दिमाग से ही करके दिखाया है।
19, मैं जानता हूँ कि डॉ अम्बेडकर का लिखा हुआ साहित्य पढ़ने से 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज वाले लोग भी अब दिमाग चलाने लगे हैं जो कि मेरे लिए नुकसानदायक है इसलिये मैंने डॉक्टर अम्बेडकर का सही साहित्य बाजार से गायब करवाना शुरू करवाया एवं छपने से भी रुकवाया साथ ही डॉक्टर अम्बेडकर के विचारों को निष्प्रभावी करने के लिए अब मेरे द्वारा तथ्यों को तोड़ मरोड़कर नया साहित्य डॉ अम्बेडकर के नाम से छपवाया जा रहा है ।
यह सब मेरे दिमाग से ही हो रहा हूँ।
20, मैं चाहता हूँ कि मूलनिवासी समाज अपना घर स्वयं जलाकर तमाशा देखे और खुशियाँ मनाये इसीलिए तो दहेजप्रथा, मृत्युभोज,, जन्मदिन पार्टी इत्यादि खर्चीले रीतिरिवाज मैंने शुरू करवाये।
ये सब विचार मेरे ही दिमाग में आये।
21, मैं चाहता हूँ कि मूलनिवासी समाज ज्यादा नशेड़ी बने जिससे इनका दिमाग काम न करे, इसीलिए तो शादियों व सभी पार्टियों में शराब पीने पिलाने का चलन बढ़वा रहा हूँ और मूलनिवासी समाज के मोहल्लों में ज्यादा से ज्यादा शराब की दुकानें खुलवा रहा हूँ।
यह सब मेरे दिमाग से ही कर पा रहा हूँ।
22,, मैं जानता हूँ कि 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज वाले लोग अब डॉ अम्बेडकर को अपना बहुत बड़ा मसीहा समझने लगे हैं, इसलिये मैं भी इस अभियान में शामिल हो रहा हूँ और अब डॉक्टर अम्बेडकर के मंदिर ,पूजा पाठ और आरती की तैयार करवा रहा हूँ, अम्बेडकर के मन्दिरों में मैं भी सुबह शाम अगरबती लगाने जाऊंगा और अम्बेडकर की फैलती विचारधारा को रोकने का पूरा प्रयास करूँगा।
यह सब करने के लिए अपना दिमाग तो खूब दौड़ा रहा हूँ लेकिन इस बार पार नहीं पड़ रही है बल्कि हर चाल नाकाम हो रही है पता नहीं इस सोशल मीडिया पर इस मूलनिवासी समाज के लोगों को कोनसी घुंटी पीने को मिल रही है कि यह लोग काबू से बाहर होते ही जा रहे हैं और यदि ऐसा ही चलता रहा तो मुझे डर है कि मेरा दिमाग काम करना ही बन्द कर देगा।
मेरा दिमाग इसलिए खराब होने लगा है क्योंकि डॉक्टर अम्बेडकर के दिमाग के सामने मेरा दिमाग टिक नहीं पा रहा है।
मैंने आज तक मूलनिवासी समाज को दिमाग काम में लेने ही नहीं दिया बल्कि बेवकूफ बनाकर रखा था और मैं अपने दिमाग को हथियार बनाकर सफलता हासिल करता रहा लेकिन अब उसी दिमाग रूपी हथियार को मूलनिवासी लोगों ने अपना लिया है इसलिये अब ये लोग आदमी बन गए हैं जबकि मैंने ढोल, शुद्र, पशु और नारी को एक ही श्रेणी में रखा था
भीम सैनिक साथियों कुदरत ने प्रत्येक व्यक्ति को दिमाग दिया है लेकिन वह उस दिमाग को काम में न लेकर दुश्मन के दिमाग की षड्यंत्रकारी रणनीति का शिकार बना हुआ है और अब ज्यों ज्यों बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन की जानकारी प्राप्त हो रही है वैसे वैसे हर आदमी अपने दिमाग से निर्णय लेने लगा है और यही बाबा साहेब अंबेडकर का सच्चा मिशन है क्योंकि बाबा साहेब ने कहा था कि समाज को शिक्षित और जागरूक करके उसे गुलामी का एहसास करादो फिर वह स्वयं ही क्रांति कर उठेगा।
तथागत बुद्ध का भी यही कहना था कि अपने दिमाग से अपना दीपक आप बनो।
सो बातों की एक ही बात है कि अपने दिमाग को शिक्षा के द्वारा तेज करो व सच्चाई को जानों और समझो।
आओ मिलकर हम सब एक अभियान चलाएं
दिमाग रूपी हथियार को काम में लेना सिखायें
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1, मैं विदेश से चलकर आपके देश भारत में करीब साढ़े चार हजार वर्ष पहले ही आया था लेकिन आपको सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग के नाम पर गुमराह करके करोड़ों वर्षों की कहानियों में उलझा दिया।
यह मेरे दिमाग का ही कमाल था।
2, मेरी और मेरे साथियों की जनसंख्या मुश्किल से 10 से 15 प्रतिशत होगी लेकिन फिर भी मैंने भारत के 85 प्रतिशत मूलनिवासी लोगों को साम दाम दण्ड भेद नीति से लड़ाई में हरा दिया और हराकर शुद्र,राक्षश,असूर, अछूत, दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यंक बना दिया।
यह भी मेरे दिमाग का ही कमाल है।
3, मैंने 85 प्रतिशत मूलनिवासी लोगों को केवल युद्ध में हराया ही नहीं बल्कि गुलाम भी बनाया और गुलाम को गुलामी का एहसास भी नहीं होने दिया।
यह सब मैंने अपने दिमाग से कर दिखाया।
4, मैंने 85 प्रतिशत मूलनिवासी लोगों को केवल गुलाम ही नहीं बनाया बल्कि गुलाम बनाने के बाद भी 6743 जातियों में बांटा और ऊंच नीच का भेदभाव पैदा करके आजतक भी मूलनिवासी समाज को एक साथ नहीं बैठने दिया।
यह मेरे दिमाग की करामात है।
5, मैं और मेरे साथियों ने मिलकर 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज को सभी मानवीय अधिकारों से वंचित किया और तुम्हारे ही देश में तुम्हें पशु समान बना दिया।
यह मेरे दिमाग की ही चाल है।
6, मैं सर्वश्रेष्ठ और धर्मदूत बनकर ऐश लेता रहा साथ ही मेरे साथियों को राजगद्दी और व्यापार का मालिकाना हक दिलाकर उन्हें भी ऐश लुटाता रहा। यह सब मैंने अपने दिमाग से कर दिखाया।
7, मैंने और मेरे दोनों साथियों ने कभी पसीना नहीं बहाया बल्कि 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज ने कमाया और हमने आराम से बैठकर खाया।
यह सब मैं अपने दिमाग से ही करपाया।
8, मैने 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज को षड्यंत्र रचकर बेवकूफ बनाया और इनका दादा बन बैठा एवं आजाद भारत में भी अपनी दादागिरी चला रहा हूँ ।
ये सब मेरे दिमाग का ही खेल है।
9, मैं आज भी सबसे ऊंचा बना हुआ हूँ क्योंकि मुझे भगवान ने ऊँचा बनाया है ऐसा भर्म मैंने फैलाया और जन जन के मन में भगवान का डर बैठाया। मुझको दान देने से धर्म होता है, मेरे को खिलाने से मृत लोक में आपके माता पिता के पेट में चला जाता है । यह ढोंग रचाकर आज भी मैं आराम से अपना परिवार पाल रहा हूँ।
यह मेरे दिमाग का ही तो कारनामा है।
10, मेरे बिना आप लोग अपने बच्चों के नाम नहीं रख सकते उनकी शादी का दिन निर्धारित नहीं कर सकते मेरी उपस्थिति के बिना शादी संस्कार सम्पन्न नहीं कर सकते अपना घर कहाँ बनाना है, कब बनाना है और बनने के बाद उसमें कब प्रवेश करना है इसकी अनुमति देने का अधिकार मैं ले बैठा और इसे धर्म और शुभ मुहूर्त से जोड़कर तुम्हें बेवकूफ बनाकर तुम्हारी आसानी से जेब ढीली करवाकर अपना परिवार पाल लेता हूँ।
यह षड्यंत्रकारी रणनीति मैंने अपने दिमाग से ही बनाई थी।।
11, मैंने आपकी सिंधुघाटी सभ्यता को मिटाया व आपके वास्तविक बौद्ध धर्म को भी भारत में खत्म करवाया साथ ही आपके सन्तों, महापुरुषों व गुरुओं के सामाजिक क्रांति के जन आन्दोलन को भक्ति भाव में बदलवाया।
यह सब मैं अपने दिमाग के बल पर ही करपाया।
12, मैंने तुम्हें बाहुबली से कमजोर बनाया, अस्त्र शस्त्र छीनकर निहत्था किया, शिक्षा पर प्रतिबंध लगाया, वेद पढने पर जीभ काटने का आदेश सुनाया, कानों में शीशा पिंघालकर डलवाया, आपस में बांटकर भाईयों को ही एक दूसरे से लड़वाया।
यह सब मेरे दिमाग से ही करपाया।
13, मैंने अपने हित के लिए पाकिस्तान बनवाया और मुसलमानों के खिलाफ नफरत का जहर फैलाया।
यह सब दिमाग से ही तो करपाया।
14, मैंने तुमसे गन्दे से गन्दा काम करवाया यहाँ तक की मेरा मैला तुम्हारे सिर पर उठवाया और कोई चूँ तक नहीं करपाया।
यह सब मेरे दिमाग से ही सम्भव हो पाया।
15, मैंने सबसे पहले डॉक्टर अम्बेडकर द्वारा बनाई गई आर पी आई को टुकड़ों में खंडित करवाया फिर कांशीराम जी की बहुजन समाज पार्टी में शामिल होकर बहुजन महापुरुषों की विचारधारा बहुजन हिताय बहुजन सुखाय को रुकवाया और
जातीय महासभाओं का गठन करवाया व अम्बेडकर अनुयायियों को भी अनेकों संगठनों में बंटवाया।
यह सब मेरे दिमाग से ही तो करपाया।
16, मैं 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज को वापिस गुलाम बना कर रहूँगा, यह संकल्प मेरे मन में आया,इसके लिए मैंने पहले सरकारी विभागों को निजी हाथों में दिलवाया और फिर शिक्षा का निजीकरण किया व अब सभी स्कूलों को भी पी पी पी मोड पर देने का कानून बनवाया।
यह सब मेरे दिमाग का ही कमाल है।
17, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज के पास आज भी कुछ नहीं है जैसे एक भी टी वी चैनल तुम्हारा नहीं, अखबार या मैगजीन तुम्हारे नहीं, साहित्य, इतिहास और स्कूल और कॉलेजों में सिलेबस तुम्हारा नहीं,मील और कारखाने तुम्हारे नहीं, बाजारों में बड़ी बड़ी दुकानें तुम्हारी नहीं, धन दौलत और जमीन जायदाद तुम्हारे पास नहीं। केवल और केवल डॉ भीमराव अंबेडकर के द्वारा दिये गए आरक्षण की बदौलत कुछ सरकारी नोकरियां तुम ले बैठे लेकिन भविष्य में वह भी हम खत्म कर बैठे।
यह सब मैंने अपने दिमाग से आसानीपूर्वक कर दिया।
18, मैंने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका पर पूर्णतया कब्जा जमा रखा है और सब ठीक ठाक चल रहा है, जनता को ऐसा विश्वाश दिला रखा है।
यह सब मैंने अपने दिमाग से ही करके दिखाया है।
19, मैं जानता हूँ कि डॉ अम्बेडकर का लिखा हुआ साहित्य पढ़ने से 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज वाले लोग भी अब दिमाग चलाने लगे हैं जो कि मेरे लिए नुकसानदायक है इसलिये मैंने डॉक्टर अम्बेडकर का सही साहित्य बाजार से गायब करवाना शुरू करवाया एवं छपने से भी रुकवाया साथ ही डॉक्टर अम्बेडकर के विचारों को निष्प्रभावी करने के लिए अब मेरे द्वारा तथ्यों को तोड़ मरोड़कर नया साहित्य डॉ अम्बेडकर के नाम से छपवाया जा रहा है ।
यह सब मेरे दिमाग से ही हो रहा हूँ।
20, मैं चाहता हूँ कि मूलनिवासी समाज अपना घर स्वयं जलाकर तमाशा देखे और खुशियाँ मनाये इसीलिए तो दहेजप्रथा, मृत्युभोज,, जन्मदिन पार्टी इत्यादि खर्चीले रीतिरिवाज मैंने शुरू करवाये।
ये सब विचार मेरे ही दिमाग में आये।
21, मैं चाहता हूँ कि मूलनिवासी समाज ज्यादा नशेड़ी बने जिससे इनका दिमाग काम न करे, इसीलिए तो शादियों व सभी पार्टियों में शराब पीने पिलाने का चलन बढ़वा रहा हूँ और मूलनिवासी समाज के मोहल्लों में ज्यादा से ज्यादा शराब की दुकानें खुलवा रहा हूँ।
यह सब मेरे दिमाग से ही कर पा रहा हूँ।
22,, मैं जानता हूँ कि 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज वाले लोग अब डॉ अम्बेडकर को अपना बहुत बड़ा मसीहा समझने लगे हैं, इसलिये मैं भी इस अभियान में शामिल हो रहा हूँ और अब डॉक्टर अम्बेडकर के मंदिर ,पूजा पाठ और आरती की तैयार करवा रहा हूँ, अम्बेडकर के मन्दिरों में मैं भी सुबह शाम अगरबती लगाने जाऊंगा और अम्बेडकर की फैलती विचारधारा को रोकने का पूरा प्रयास करूँगा।
यह सब करने के लिए अपना दिमाग तो खूब दौड़ा रहा हूँ लेकिन इस बार पार नहीं पड़ रही है बल्कि हर चाल नाकाम हो रही है पता नहीं इस सोशल मीडिया पर इस मूलनिवासी समाज के लोगों को कोनसी घुंटी पीने को मिल रही है कि यह लोग काबू से बाहर होते ही जा रहे हैं और यदि ऐसा ही चलता रहा तो मुझे डर है कि मेरा दिमाग काम करना ही बन्द कर देगा।
मेरा दिमाग इसलिए खराब होने लगा है क्योंकि डॉक्टर अम्बेडकर के दिमाग के सामने मेरा दिमाग टिक नहीं पा रहा है।
मैंने आज तक मूलनिवासी समाज को दिमाग काम में लेने ही नहीं दिया बल्कि बेवकूफ बनाकर रखा था और मैं अपने दिमाग को हथियार बनाकर सफलता हासिल करता रहा लेकिन अब उसी दिमाग रूपी हथियार को मूलनिवासी लोगों ने अपना लिया है इसलिये अब ये लोग आदमी बन गए हैं जबकि मैंने ढोल, शुद्र, पशु और नारी को एक ही श्रेणी में रखा था
भीम सैनिक साथियों कुदरत ने प्रत्येक व्यक्ति को दिमाग दिया है लेकिन वह उस दिमाग को काम में न लेकर दुश्मन के दिमाग की षड्यंत्रकारी रणनीति का शिकार बना हुआ है और अब ज्यों ज्यों बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन की जानकारी प्राप्त हो रही है वैसे वैसे हर आदमी अपने दिमाग से निर्णय लेने लगा है और यही बाबा साहेब अंबेडकर का सच्चा मिशन है क्योंकि बाबा साहेब ने कहा था कि समाज को शिक्षित और जागरूक करके उसे गुलामी का एहसास करादो फिर वह स्वयं ही क्रांति कर उठेगा।
तथागत बुद्ध का भी यही कहना था कि अपने दिमाग से अपना दीपक आप बनो।
सो बातों की एक ही बात है कि अपने दिमाग को शिक्षा के द्वारा तेज करो व सच्चाई को जानों और समझो।
आओ मिलकर हम सब एक अभियान चलाएं
दिमाग रूपी हथियार को काम में लेना सिखायें
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