क्या आप को पता है माँ का प्यार भगवान का एक आशीर्वाद है

माँ : माँ का प्यार भगवान का एक आशीर्वाद है


घर में आज सुबह से ही बड़ी चीख पुकार मची हुई थी। ना जाने आज घर में कौन सा हंगामा हो गया था? रमेश की बीवी जोर जोर से चिल्ला रही थी। इतनी जोर से कि आस पास के घरों के लोग भी अपने घरों से बाहर आ गए।
दरवाजे के पीछे एक वृद्ध औरत सिकुड़ी सिकुचाई सी आंसू बहा रही थी। मुँह से यूँ तो एक शब्द नहीं निकल रहा था लेकिन बहु के ताने सुनकर आँखे रो पड़ी थीं। इधर रमेश अपनी बीवी को बार बार समझा रहा था कि माँ ऐसा नहीं कर सकतीं।
दरअसल टेबल पर रखी बहुरानी की कीमती अंगूठी कहीं गुम हो गयी थी। पत्नी जोर जोर से चिल्ला रही थी कि ये बुढ़िया वहीँ बैठी थी इसी ने मेरी अंगूठी चुराई है, बेचारी माँ बेबस सी अपने बेटे की तरफ आस लगा के देख रही थी। शायद यही कुछ बोले बहुरानी ने तो समाज के आगे इज्जत उछालने में कोई कसर छोड़ी ही नहीं थी।
हद तो तब हो गई जब पत्नी ने गुस्से में माँ का हाथ पकड़कर दरवाजे से अंदर खींचा। रमेश का आपा भी जवाब दे गया और उसने पत्नी के गाल पर एक जोरदार तमाचा मारा। अभी 2 महीने पहले ही शादी हुई थी, पत्नी को वो तमाचा सहन नहीं हुआ वो गुस्से में पति पर चिल्ला के बोली – तुमको मुझसे ज्यादा अपनी माँ पर विश्वास है, ऐसा क्यों?
रमेश की आँखों से भी अब आँसू निकलने लगे और बोला – जब मैं बहुत छोटा था, उसी समय मेरे पिता का देहांत हो गया था, तब मेरी माँ ने दूसरों के घरों में बर्तन मांझ कर और झाड़ू लगा लगा कर मुझे पाला।
मुझे याद है कि माँ बड़ी मुश्किल से एक वक्त के खाने का इंतजाम कर पाती थी। और वो खाना भी वो मेरी थाली में परोस देती थी और खुद एक खाली डब्बे को ढककर मुझसे झूठ बोला करती थी कि तू खा ले, मेरी रोटियाँ इस डब्बे में हैं। जबकि वो डब्बा हमेशा खाली होता था लेकिन मैं भी जानता था तो मैं आधी रोटी बचाकर माँ से बोलता था कि मेरा पेट भर गया है और आधी रोटी माँ को खिला दिया करता था।
आज मैं 2 रोटी कमाने लायक क्या हो गया, अपनी माँ के उस बलिदान को भूल जाऊं। कैसे भूल जाऊं कि माँ ने मेरे लिए ना जाने अपनी कितनी ही इच्छाओं का गला घोट दिया। तुम तो मेरे साथ अभी केवल 2 महीने से हो लेकिन मैंने तो माँ को पिछले 25 वर्षों से लगातार तपस्या करते देखा है। आज उम्र के इस पड़ाव पर आकर क्या मेरी माँ को एक अंगूठी का लालच होगा? अगर अपनी माँ पर शक किया तो भगवान मुझे नरक में भी जगह नहीं देगा।
दोस्तों माँ बाप तो भगवान का रूप होते हैं। धिक्कार है ऐसे लोगों पर जो अपने माँ बाप के बुढ़ापे का सहारा भी नहीं बन सकते। अरे अपनी औलाद के लिए माँ बाप क्या कुछ कुर्बान नहीं करते, सारा जीवन बच्चों को पाल पोस के बड़ा करते हैं और बदले में माँगते ही क्या हैं? बुढ़ापे पे 2 वक्त का खाना और अपने बच्चों का प्यार। क्या हमारे माँ बाप का इतना भी अधिकार नहीं है हमपे ? दोस्तों कहने को तो ये एक कहानी है लेकिन सच्चाई इस कहानी से अलग नहीं है, हमारे समाज में आज कल यही हो रहा है। अपने माँ बाप की सेवा करें उन्हें प्यार दें

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